औरत अपने अस्तित्व, की तलाश में, खोजती रहती है, कुछ अनजाने पथ। औरत अपने अस्तित्व, की तलाश में, खोजती रहती है, कुछ अनजाने पथ।
हे सती साध्वी भवप्रीता तुम आर्य भवानी रत्नप्रिया। हे सती साध्वी भवप्रीता तुम आर्य भवानी रत्नप्रिया।
प्रकृति फल, फूल, जल, हवा, सब कुछ न्योछावर करती, ऐसे जैसे माँ हो हमारी। प्रकृति फल, फूल, जल, हवा, सब कुछ न्योछावर करती, ऐसे जैसे माँ हो हमारी।
उसका गीत गाके महफिल सजा लेती हूं ये कविता लिख कर पा लिया करती हूँ उसे उसका गीत गाके महफिल सजा लेती हूं ये कविता लिख कर पा लिया करती हूँ उसे
फागुन के रंग में रंग जाओ, इस बरस तुम आओ मेरे अँगना। फागुन के रंग में रंग जाओ, इस बरस तुम आओ मेरे अँगना।
जब से छोड़ा शरीर ने साथ निभाना मेरा सांवरा सैंया बनाए प्यार से खाना, जब से छोड़ा शरीर ने साथ निभाना मेरा सांवरा सैंया बनाए प्यार से खाना,